
ईश्वर के अवतार ना मानने वालों को श्रीमद्भागवत गीता में मूढ़ बताया गया हे ।
मेरे परम भाव को ना जानने वाले मूढ़ लोग मनुष्य का शरीर धारण करने वाले मुझ सम्पूर्ण भूतों के ईश्वर को तुच्छ समझते हे अर्थात अपनी योग माया से संसार के उद्धार के लिए मनुष्य रूप में विचरते हुए मुझ परमेश्वर को साधारण मनुष्य मानते हे । 💐जय श्री कृष्ण💐
श्रिमद्भगवद गीता -अध्याय -9, श्लोक -११
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स्वधर्म पालन एवं परधर्म और पंथो का तत्काल त्याग होना चाहिए
2024-08-17 04:55:27

परमात्मा अत्यंत समीप है ॥
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आतातायीयो के वध का कोई दोष नहीं
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ईश्वर ही सबसे बड़े गुरु और अति पूजनीय हैं ॥
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संत का उपदेश
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विसर्जन-का-तात्पर्य
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वेदिक विवाह
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क्या कलियुग से पहले अन्य मनुष्य निर्मित सम्प्रदाय/धर्म थे ??
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धर्म परिवर्तन रोका जा सकता है ।
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ब्रह्मा जी की पूजा की अनिवार्यता
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अधम निम्न उत्तम और सर्वोत्तम मनुष्य के लक्षण
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हिंदू शब्द सनातन पुराणो में वर्णित हे
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प्रत्येक सनातनि का प्रण
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विज्ञान की परिभाषा
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सोम रस के सात्विक होने का प्रमाण -ऋिग वेद
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