क्या धर्म परिवर्तन के बाद अपने धर्म अर्थात स्वधर्म का पालन किया जा सकता हे ?
धर्म एक सनातन - नित्य नवीन पुरातन , जिसका ना आदि , ना अंत , जिसका नाम शिव अर्थ कल्याण -राम राम
पर धर्म के त्याग का निर्देश दिया गया हे -भागवत पुराण -सप्तम सकन्द
जिसने धर्म परिवर्तन कर लिया हो उसे परधर्म त्याग कर अपने स्वधर्म का पालन करना चाहिए ।
गीता अध्याय 3 श्लोक 35 में सुस्पष्ट कहा है कि अच्छी प्रकार आचरण में लाये हुए दूसरे के धर्म से गुणरहित भी अपना धर्म अति उत्तम है। अपने धर्म में मरना भी कल्याण कारक है, दूसरे का धर्म भय को देने वाला है।
💐राम राम 💐
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