
क्या यह गीता सार हो सकता हे ?
जो हुआ, वह अच्छा हुआ,
जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है,
जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा I
तुम्हारा क्या गया, जो तुम रोते हो?
तुम क्या लाए थे, जो तुमने खो दिया?
तुमने क्या पैदा किया था, जो नाश हो गया?
तुमने जो लिया यही से लिया,
जो दिया यही पर दिया,
जो आज तुम्हारा है,
कल किसी और का था
कल किसी और का होगाI
परिवर्तन ही संसार का नियम है I"
👆क्या यह गीता का सार हो सकता है ?
क्या यह सार सुन कर अर्जुन गांडीव उठाते ?
क्या यह सार शास्त्र में वर्णित है ?
क्या यह सार हमें सुना कर नपुंसक बनाने का प्रयास नहीं किया गया ?
जरा विचार करे ।
🌷राम राम 🌷
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