
विदुर नीति
विदुर नीति
१. मोह जो छोड़ता है कर्त्तव्य धर्म अपनाता है,
पंडित वही कहलाता है.
२. शत्रु मित्र की परख जिसे, धोखा वो नहीं खाता है,
पंडित वही कहलाता है.
३.जो घर के शक्तिशालियो को, कर वश में मित्र बनाता है,
पंडित वही कहलाता है.
४.जो शास्त्रो से विद्वानों से, गुणियों से प्रेम बड़ ता है
सबके हित की सोचता है, पंडित वही कहलाता है.
5. दुर्जन को भी मीठेपन से अपना शिष्य बनाता है,
सजनता उसे सिखाता है, पंडित वही कहलाता है.
६. मर्यादा बड़ो की रखता है, छोटो को सदा निभाता है,
धर्म न कभी मिटाता है, पंडित वही कहलाता है.
७.आपति काल में भी जो, काम किये ही जाता है
वह फिर उन्नति कर जाता है पंडित वही कहलाता है.
८. गुंडों से गाली सुन कर भी, आवेश न जिसको आता है,
झगड़े का मर्म समझता है, पंडित वही कहलाता है.
९.अनुभवहीनों के अनुभव पर, हँस हँस जो समय बिताता है,
सत्य पथ पर बड़ता जाता है, पंडित वही कहलाता है.
१०.अपने से पहले अपनों पर, जो अपनापन दिखाता है,
संतुष्ट सभी को रखता है पंडित वही कहलाता है.
११.छोटी बातो पर ध्यान न दे, जो बड़ी बात पर जाता है,
निज जीवन में कुछ कर जाता है, पंडित वही कहलाता है,
१२. साधु ब्राह्मण को जो आदर से अपनाता है,
सब में ईश्वर को देखता है, पंडित वही कहलाता है.
💐राम राम💐
www.sanatangurukul.org













