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विसर्जन-का-तात्पर्य


विसर्जन का तात्पर्य - यदि विसर्जन करना हो तो ऐसी भावना करनी चाहिए कि प्रतिमा से एक दिव्य ज्योति निकली है और वह मेरी हृदयस्थ ज्योति में लीन हो गयी है । बस, यही विसर्जन है । -भागवत पुराण

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