परमात्मा अत्यंत समीप है ॥
श्रीमद्भागवतगीता अध्याय -13, श्लोक संख्या -15👇
वह चराचर सब भूतों के बाहर- भीतर परिपूर्ण है और चर अचर भी वही है और वह सूक्ष्म होने से अविज्ञ्ेय है तथा अति समीप में और दूर में भी स्थित वही है ॥
जैसे सूर्य की किरणो में स्थित हुआ जल सूक्ष्म होने से साधारण मनुष्यों के जानने में नहीं आता, वैसे ही सर्वव्यापी परमात्मा भी सूक्ष्म होने से साधारण मनुष्यों के जानने में नहीं आता ।
वह परमात्मा सर्वत्र परिपूर्ण और सबका आत्मा होने से अत्यन्त समीप है।
श्रद्धा रहित अज्ञानी पुरुषों के लिए न जानने के कारण बहुत दूर है।
💐जय श्री कृष्ण 💐
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