
संसार को बचाना होगा
🙏🙏 *सविनय - अनुरोध*🔥 🔥 **🔥🔥🙏🙏
कोरोना वैश्विक महामारी की वजह से पूरे विश्व मे उत्पन्न हुई इस विकट परिस्थिति ने *समस्त वर्गों* को झकझोर कर रख दिया है, जिससे उबरने में शायद सालों लग जायेंगें। *अधिकतर करीब 80-90% सभी समुदाय आनेवाली 1930 जैसी मंदी की कगार पर मिटियामेट होने की स्थिति पर है।*
परिणामस्वरूप लाखों सामान्य आयवालो की कमाई व नौकरी पेशा-व्यक्तियों की नोकरियां भी जा सकती हे । सबसे बुरी हालत उस समुदाय की होती दिखती हे जो अपने मूल रहन सहन के सिद्धांतो से बहुत दूर हो चुका है ।
अतः समाज के सभी सक्षम, प्रभावशाली, शक्तिशाली और संपन्न वर्ग से करबद्ध अनुरोध है कि वो आगे बढ़ कर अपने पूर्वजों *सनातन पद्धतियों *, भगवान महेश्वर व परमब्रह्म तीर्थांकरों* के द्वारा स्थापित संसार हित के नियमों को पुनः मजबूती के साथ अपनाने के लिए आगे आएं और खुद अपनावे एवम पूरे संसार को इन्हें अपनाने के लिये प्रेरित करें।
हमें समाज की अपेक्षा संसार हित की ओर ध्यान देना हे , समाज एक सीमित विचार धारा हे किंतु सनातन एक ईश्वरीय विचार शक्ति हे ।
*संसार सुधार एवं परिवर्तन* का इससे बेहतर अवसर अब आज उपस्थित है शायद भविष्य मे कभी न भी आवे । संसार के साधन-संम्पन्न वर्ग को चाहिए कि स्वयं इन सिद्धांतों का पूरी तरह से पालन करके एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करे ताकि अन्य वर्ग को भी इन्हें अपनाने में आधार प्राप्त हो।
सनातन पद्धतियों द्वारा हर वर्ग के अनुकरणीय ब्यवस्था की मजबूत नींव हमारे पूर्वजों की ही रखी हुई है। उनलोगों द्वारा स्थापित कुछैक सिद्धांतों की सूची इस प्रकार है :-
◆१.मोटा खाना एवं मोटा पहनना।
◆२.ब्याह - विवाह मे सीमित खर्च ( एक जैसी रीति-नीति हर वर्ग द्वारा अपनाकर)।
◆३.भोग, विलास और वैभवपूर्ण सामग्रियों (Branded Items) के अनावश्यक उपयोग से परहेज।
◆४.अपनी कमाई के लगभग आधे हिस्से को खर्च एवं शास्त्रोक्त दान और बाक़ी हिस्से की भविष्य निधि के रूप में बचत करनेकी प्रव्रीती
◆५.तन-मन-धन से संसार उत्थान में एवम सेवा में सामर्थ्य अनुसार योगदान एवं समर्पण।
◆६.अन्न (खाद्यान्न) को साक्षात भगवान का स्वरूप ही समझने के संस्कारों को पुनर्स्थापित करते हुए इसका पूर्ण सम्मान करना तथा अनावश्यक या झूठन बिल्कुल न छूटे का विशेष ख्याल रखना।
◆७.पूर्ण निरामिष एवं सात्विक शाकाहारीपूर्ण शारीरिक, मानसिक बल प्रदान करनेवाला भोजन करना।
◆८.सभी प्रकार की तामसिक और नशीली वस्तुओं के सेवन से पूर्ण परहेज़ करना (पान मसाला, जर्दा, शराब, अंडा, सिगरेट आदि)।
◆९.परिवार में एवं संसार के बुजुर्गों की निस्वार्थ सेवा सुश्रुसा करना।
◆१०.अपने परिवार को भी समय देना।
◆११.जरूरत के अनुसार ही *वस्त्र, जूते और सौंदर्य प्रसाधन* का संग्रह करना।
◆१२.सामाजिक और सनातन पद्धतियों के प्रचार प्रसार और उनके संगठन में अपनी सक्रिय हिस्सेदारी निभाना।
◆१३.ईश्वर में आस्था एवं विश्वास रखना एवम अन्य से भी रखवाना।
◆१४. पारिवारिक सदस्यों को एकसाथ बैठ कर सामूहिक भगवत संकीर्तन, प्रार्थना एवं भजन सत्संग करना। यह ही संसार रूपी नदी के प्रवाह को नियंत्रित करने में दो पाटों
( किनारों ) का काम करेंगे।
◆१५. मन में देशप्रेम की सच्ची भावना जागृत रखना एवम यथायोग्य सहयोग की प्रव्रीति रखना।
◆१६. देश एवं समाज के सच्चे सैनानियों *(सैनिक, पुलिस, डॉक्टर, सेवाव्रती कर्मचारीगण , देशभक्त कवि, रोजमर्रा जीवन से जुड़े सेवाकर्मी आदि)* को समुचित सम्मान एवं प्रोत्साहन देना।
◆१७. सप्ताह में एक दिन अपने सभी पारिवारिक सदस्यों को एक साथ लेकर घर परिवार पर आपसी परिचर्चा , सनातन ग्रंथो के आध्यन, स्वाध्याय के लिए अवश्य बैठना।
◆इस तरह के और भी कई नियम हो सकते है उन्हें पूरी सजकता से अपनाना।
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वास्तव में अंततः आज के भटके हुए सनातन धर्म के हर वर्ग व घटक के मार्गदर्शन का दायित्व समाज के वर्तमान शीर्ष गणमान्य व्यक्तियों का ही है।
यही *आज के समय की आवश्यकता हे * कि वे स्वयं आगे आकर संसार और समाज को समुचित नेतृत्व प्रदान कर सही दिशा प्रदान करें।
तभी अपना ये सनातन धर्म , सनातन परिवार , अपनी प्रतिभा, अनुशासन एवं कठिन परिश्रम से पूर्वप्राप्त गौरव को एकबार पुनरस्थापित कर अपने समाज ,देश व संसार को नयी ऊँचाईयों पर पहुंचाने में अवश्य सफल होगा।
*आदिपुरुष परमेश्वर की जय*
सत्य सनातन धर्म की जय
💐राम राम 💐
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