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सनातन ग्रंथ क्यों पढ़ें?


प्रशन: किसी ने पुछा की वेद पुराण इतने सारे ग्रंथ हे की कैसे पढ़े और इतना  पढ़ने का समय कहाँ से लाए ?

 

उत्तर : आप अपने कार्य क्षेत्र में रहते हुए आधुनिकता का लाभ उठाते हुए .PDF में पढ़  सकते हे ।

 

प्रशन: दूसरे व्यक्ति ने पूछा की पढ़ने के अलावा सुना भी जा सकता हे क्या ?

 

उत्तर: जी हाँ , आप audio MP३ me सुन भी सकते हे ।

 

प्रशन: इन ग्रंथो को जानने से क्या लाभ ?

 

उत्तर : वोहि लाभ होता हे जब अंधकार वाले कमरे में बत्ती जगाने पर देखा जा सकता हे 

 

प्रशन : ये तो हम बाबा लोगों के प्रवचन और workshops में जा कर भी कर सकते हे 

 

उत्तर : निसंदेह , किंतु ज़रा विचार करे की 

क्या धर्म मार्ग पर चलने के लिए श्रधा , भक्ति , ईश्वर पर विश्वास , सनातन ग्रंथो का  साथ पर्याप्त नहीं ?

 

प्रशन ; ईश्वर से मिलने  लिए गुरु की अनिवार्यता भी तो बोली गयी हे ?

 

उत्तर : बिलकुल ठीक कहा गया हे ।

ईश्वर से बड़ा गुरु कौन ,  

यह प्रशन भी हे और उत्तर भी 

 

प्रशन:  क्या ईश्वर  गुरु बनाया जा सकता हे? 

उत्तर : निस्सन्देह, सनातन शास्त्रों  अनुसार ईश्वर को गुरु बनाया  सकता हे 

भक्त प्रह्लाद , ध्रुव,  मीरा और अनेको उदारण     हे 

 

प्रशन: किंतु हमने सुना हे की सनातन शास्त्र बड़े कठिन हे ?

उत्तर : सनातन शास्त्र ईश्वर की वाणी हे और सरलतम हे , 

मनुष्य विकारी हे किंतु एक ईश्वर ही पूर्ण काम और निर्विकारी हे और आपको विश्वास ना हो तो एक बार अपने सनातन ग्रंथ पढ़ने का प्रयास कर के तो देखो 

 

प्रशन: किंतु इसके बड़े कठिन नियम होंगे ?

उत्तर : प्रभात काल में स्नान के बाद आध्यन किया जा सकता हे अगर ये कठिन हे तो आप सही कह रहे हे ।

 

प्रशन : क्या कोई सारगर्भित सनातन ग्रंथ हे ?

उत्तर : भगवतगीता

 

प्रशन: क्या गीता का सार भी हे ?

उत्तर : गीता अपने आप में ही सार हे 

 

एक बार अपने सनातन धर्म ग्रंथो से जुड़ने का प्रयास तो करें, प्रशन उत्तर तो चलते ही रहेंगे 

 

प्रशन : सनातन ग्रंथ क्या सिखा सकते हे ?

उत्तर : तत्व का ज्ञान , आत्म ज्ञान, 

जीवन जीने की सही शेली , संस्कार , जीवन को निरोगी कैसे रखा जाय, अर्थात आरोगायम , प्रकृति से सब कुछ प्राप्य हे उसको प्राप्त करने का सही मार्ग दर्शन , आध्यात्मिक उन्नति ,  और आपके समस्त प्रश्नोंके उत्तर भी प्राप्त किए जा सकते हे ।

 

एक प्रयास तो करें

 

🌷राम राम 🌷

 

www.sanatangurukul.org

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