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Is our Belief System right


🌷चर्चा विश्वास प्रणाली-१🌷

 

हम लोग सब एक विश्वास की पद्धति पर चल रहे हे , जो की हमें या तो हमारे बुज़ुर्गों, परिवार के सदस्यों , मित्रों, वाचको, रिश्ते नातों, प्रिय जनो , मर्गदर्शको, इंटर्नेट , गूगल , Whatsapp इत्यादि से मिली हे ।

हमें यह सब परम्परा के नाम से भी बताया जाता हे ।

जिसे हम (belief system)विश्वास प्रणाली के नाम से जानते हे ।

जैसे ही हमें कुछ भी ज्ञान मिलता हे हमारी विश्वास प्रणाली के सेनिक जागरूक हो जाते हे और स्वीकार या अस्वीकार विश्वास प्रणाली की पद्धति पर जा कर करते हे ।

वह सेनिक तर्क कुतर्क की तलवार से क्या कभी सत्य को ही तो नहीं काट देते ? 

और क्या हम तथ्यों से अनिभिज्ञ रहते हुए यह ही विश्वास प्रणाली अपनी पीढ़ी को वैसे ही दे कर चले जाएँगे जैसे हमें मिली ?

क्या हम यह नहीं जानने का प्रयास करना चाहिए की यह विश्वास प्रणाली का आधार क्या हे ?

हमने ५०० साल से सुना हे -१००० साल से सुना हे- तो सत्य ही होगा ?

हमें हमारे बुज़ुर्गों, परिवार के सदस्यों , मित्रों, वाचको, रिश्ते नातों, प्रिय जनो , मर्गदर्शको, इंटर्नेट , गूगल , Whatsapp इत्यादि से पता चला हे तो सत्य ही होगा ?

क्यों की कोई बुज़ुर्ग हे या ज्ञानी दिखता हे तो वो सही ही होगा ?

 

क्या किसी का बोलने का तरीक़ा या समझाने का ढंग मनमोहक हे तो वो सत्य ही होगा ?

 

क्या  किसी की तर्क बुद्धि हमें कुछ समझा देती हे तो वो सत्य ही होगा ?

 

इतने सारे प्रतिष्ठित व्यक्ति कुछ कह रहे हे तो क्या वह सत्य ही होगा ? 

 

हमें यह सब परम्परा के नाम से भी बताया गया हे तो क्या वह सत्य ही होगा ?

 

हम अगर उसे सत्य समझ रहे हे तो क्या हमारे विश्वास प्रणाली के सेनिक अपना काम पूरा तो नहीं कर दिए ?

व्यक्ति , परम्परा ग़लत या ठीक हो सकते हे ।

किंतु ईश्वर सटीक हे और ईश्वर ने  ज्ञान अपने सत्य सनातन शास्त्रों के माध्यम से बताया हे ।

 क्या हमें यह नहीं विचार करना चाहिए की जो शास्त्र सम्मत हे वो ही सत्य हे ?

क्या हमें अपनी विश्वास प्रणाली के विकल्प में ईश्वरीय विश्वास प्रणाली का अनुसरण करने का प्रयास नहीं करना चाहिए ?

 

क्या ईश्वरीय विश्वास प्रणाली ज़्यादा सुदृढ़ नहीं होगी ? 

 

ज़रा विचार करें.......

🌷राम राम 🌷

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