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Difference between DHARAM and Religion


🌷 चर्चा विश्वास प्रणाली-२🌷

 

🌷धर्म और सम्प्रदाय 🌷

 

अक्सर देखा जाता हे की लोग धर्म और सम्प्रदाय को एक समझते हे ।

किंतु यह सही नहीं हे ।

धर्म धर्म हे , अंग्रेज़ी में भी DHARMA, संस्कृत में भी धर्म , हिंदी में भी धर्म यह ही हे हमारा सत्य सनातन धर्म ...

जैसे वेद, पुराण , रामायण, उपनिषद , जितने भी सनातन ग्रंथ हे इन सब की अंग्रेज़ी भी येही नाम धारण करते हे ।

 

ईश्वर एक तो धर्म दो कैसे ?

 

अब सम्प्रदाय क्या हे ?

सम्प्रदाय को अंग्रेज़ी में Religon कहते हे ।

आज के कली युग के तथाकथित सम्प्रदाय मनुष्य निर्मित हे , इसीलिए वह स्वार्थ और कट्टरता की बात करते हे और मन भेद और मत भेद होता हे ।

 

जबकि ईश्वर का बनाया गया सनातन धर्म सदेव सर्वेभवंतु सुखीना अर्थात सब की मंगल कामना करता हे और विश्व को कुटुमंब मानते हे , वासुदेव कुटूमंबकम 

 

धर्म कट्टर नहीं द्रड़ होता हे 

कट्टरता स्वार्थ के लिए होती हे 

और द्रडता परमार्थ के लिए 

बस यह ही समझना हे ।

 

हर सम्प्रदाय अपनी गिनती बढ़ाना चाहता हे , क्यों?

उत्तर :- क्यों की राज कर सके ।

 

जो लोग स्वधर्म अर्थात अपना धर्म नहीं जानते वह बहला फुसला के , ज़रूरत का फ़ायदा उठा कर या अन्य कारणो से दूसरे सम्प्रदाय में परिवर्तित हो जाते हे , और कुछ तो अपने सनातन धर्म के विरोधी हो जाते हे और कुछ दोनो को मानने का प्रयास करते हे और दो नाव के पथिक का जो हाल होता हे या धोबी के कुत्ते की हालत हो जाती हे ।

 

अब ज़्यादा तर लोग कहते सुने जाते हे की Religon से ऊपर उठ कर बात होनी चाहिए, यह लोग वो ही लोग हे जो या तो पूरे परिवर्तित हो चुके होते या दो नाव के पथिक होते हे और वह यह भी नहीं जानते की जाने अनजाने वह अधर्म कर रहे हे । 

गीता अध्याय 3 श्लोक 35 में सुस्पष्ट  कहा है कि अच्छी प्रकार आचरण में लाये हुए दूसरे के धर्म से गुणरहित भी अपना धर्म अति उत्तम है। अपने धर्म में मरना भी कल्याण कारक है, दूसरे का धर्म भय को देने वाला है। 

 

यह लोग यह निम्नलिखित बातें भी कहते हे 

 

१. सब धर्म एक ही बात करते हे ।

उत्तर :- तो फिर आप परिवर्तित क्यों हुए ?

 

२. क्या कोई धर्म कभी कोई ग़लत बात सिखाएगा ?

उत्तर :- नहीं , कदापि नहीं , धर्म कभी ग़लत नहीं सिखाता , किंतु वह धर्म होना चाहिए , धर्म का चोला ओढ़े सम्प्रदाय नहीं ।

भगवतगीता के अनुसार परिवर्तन के बाद तो वह धर्म रहा ही नहीं ।

और वैसे भी चोर का धर्म चोरी करना , आतंकवादी का धर्म आतंकवाद फ़ेलना , और छलिए का  धर्म छलना , 

जिसका जैसा धर्म (सम्प्रदाय ) होगा वो वैसा ही तो सिखाएगा , 

और अगर सब धर्म सिखाते हे तो यह अधर्म कहाँ से आ गया ?

 

३. समय के हिसाब से साब बदलना पढ़ता हे ।

उत्तर :- जी ज़रूर , अगर अपना सनातन धर्म जाना होता तो यह पता होता की युगों के अनुसार सारी व्यवस्था की हुई हे।

जिसने से केवल एक ही उद्धरण दिया जा रहा हे और ऐसे सेंकडो उदाहरण हमारे शास्त्रों में वर्णित हे ।

स्पष्ट कहा गया हे की शास्त्र आज्ञा अनुसार अपने कर्तव्य कर्म का पालन करते हुए स्वधर्म में स्थित रहते हुए निम्नलिखित युगों में किस किस की महता हे ।

सत्य युग में तप 

त्रेता में यज्ञ 

द्वापर में विधिवत पूजन 

और कली काल में ईश्वर के नाम का संकीर्तन के साथ सुपात्र को दान की महिमा कही गयी हे ।

 

किंतु खेद की पहले स्वधर्म त्यागा, अन्न दूषित हुआ , मन दूषित किया , मन के दूषित विचारों से आचरण अर्थात कर्म दूषित हुआ और फल सबके सामने हे ।

 

अपने सनातन धर्म को जानने का प्रयास करें।

 

विडम्बना हमारा व्यक्ति ही हमारा विरोधी हे इन शांति दूतों  और धर्म परिवर्तन करने वाली missionaries, या कोम की रक्षा का हवाला दे कर धर्म परिवर्तन करने वालों का दम हमारी आपसी विरोधी गतिविधियाँ हे ।

और चर्चा करो तो अधिकांश लोग मौन रहते हे 

या ग्रूप छोड़ जाते हे ।

 

क्या हम लोग कुछ भी नहीं कर सकते अपने धर्म को बचाने के लिए ?

 

लाल कपड़े में सादर रखी गीता खोलकर पढ़ने और उस का पाठ करने से पुण्य मिलेगा और अभ्यास करने से सद्दगती ।

 

अपने को विद्वान दिखाने वाला कौन- एक हिंदू 

 

अपने ६८ करोड़ तीर्थ भ्रमण ना करके दूसरे संप्रदायों पर मोमबत्ती जलाने वाला , कहीं चद्दर चढ़ाने वाला , कहीं बिना ग्रंथ पढ़े माथा टेकने वाला कौन-हिंदू 

 

अपने अनगिनत सनातन ग्रंथ नहीं पढ़े , दूसरों के ग्रंथो को बिना पढ़े मानने वाला और अपने ग्रंथो की सत्यता पर प्रशन उठाने वाला कौन -हिंदू 

 

जब हमारे पास हमारा सत्य सनातन धर्म हे तो हमारे लिए अन्य कोई सम्प्रदाय या पंथ विचारणीय ही क्यों ?

 

और उपरोक्त बातों पर विरोध देने वाले भी बुद्धि जीवी कौन होंगे -हिंदू 

 

ज़रा सोचिए .....

 

🌷राम राम🌷

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