How can we respect other religions who are disrespectful towards Our SANATAN DHARAM
🌷चर्चा विश्वास प्रणाली -३🌷
जैसा कि हम सब जानते है कि कुछ सम्प्रयादो ने निम्नलिखित बिन्दुओ का खंडन किया है उनमे से कुछ की चर्चा यहाँ की जा रही है :-
१. जनेऊ संस्कार
२. स्त्रियों के साथ भेदभाव
३. चढ़ते सूरज को जल देना
४. मूर्ति पूजा
५. विवाह संस्कार
5. अंतिम संस्कार, पितृ तर्पण और श्राद्ध
६. विवाह संस्कार
७. अवतारवाद
भागवत गीता १६ अध्याय -२३ और २४ श्लोक कहता है जो पुरुष शास्त्र विधि को त्याग कर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है वह न तो सिद्धि को प्राप्त होता है, न परम गति को और न सुख को ही - २३
इसमें तेरे लिए इस कर्तव्य और अकर्तव्य की व्यवस्था में शास्त्र ही प्रमाण है, ऐसा जानकर तू शास्त्र विधि से नियत कर्म ही करने योग्य है -२४
१. जनेऊ संस्कार :- जैसा कि जनेऊ संस्कार के नाम में संस्कार शब्द आता है अर्थात जनेऊ एक वैदिक सांस्कृतिक और पौराणिक संस्कार है और यह वैज्ञानिक भी है इसकी व्याख्या के लिए निम्नलिखित संस्कार प्रकाश नाम कि पुस्तक प्रेषित कि जा रही है चूकि मानव देह ही ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग है इसलिए उसे संस्कारो से सुसंस्कृत किया जाता है जनेऊ संस्कार को उपनयन संस्कार (यज्ञोपवीत) भी कहते है l
२. स्त्रियों के साथ भेदभाव :- सनातन धर्म में कभी भी कोई भेदभाव नहीं किया गया है।
भेद भाव सदेव मन और बुद्धी का विषय हे , ईश्वर ने कभी कोई भेद भाव नहीं किया ।
स्त्री को लक्ष्मी रूप बोला गया है और पुरुष को नारायण रूप कर्तव्य कर्मो और दायित्व के अनुसार कर्मो का विभाजन और उन्ही के अनुसार वैज्ञानिक पद्धति का निर्माण किया गया है जिन्हे वेदो और पुराणों में पढ़ा सुना जा सकता है l
३. चढ़ते सूरज को जल देना :- चढते सूरज को जल देना को कर्तव्य कर्म कहा गया है यह एक वैज्ञानिक पद्धति है सुबह चढ़ते सूरज को जल देने से व्यक्ति जल्दी उठता है और आरोग्यता को प्राप्त कर सकता हैl
४. मूर्ति पूजा:- वेदो और पुराणों में मूर्ति पूजा मान्य है बहुत से साम्प्रदाय यह कहते है की मूर्ति पूजा एक खाई है तो उनसे सादर प्रश्न है फिर अपने बाबाजी की फोटो क्यों लगाई है l
५. विवाह संस्कार :- विवाह को भी एक एक संस्कार बोला गया है इस पद्धति का निर्माण पूर्णतः वैज्ञानिक रीति से किया गया है इसमें स्त्री पुरुष एक दूसरे से वचनबद्ध होकर अग्नि देवता को साक्षी मान कर एक दूसरे के प्रति धर्म में बंधते है जिसका वर्णन संस्कार प्रकाश पुस्तक में विस्तार से किया गया है और सातों वचनो की वैज्ञानिकता भी प्रेषित की गई है l
६. अंतिम संस्कार पितृ तर्पण और श्राद्ध :- अंत्येष्टि को भी अंतिम संस्कार कहा गया है जिसमे पंच भूतों में ही व्यक्ति विलीन हो जाता है और कर्मानुकूल जिस जिस योनि में वह जन्म लेता है पितृ तर्पण और श्राद्ध के माध्यम से उसको अन्न जल और अन्य पदार्थो का लाभ प्रारब्ध कर्म और जिसे हम भाग्य कहते है उसके अनुकूल मिलता है l
७. अवतार वाद :- भागवत गीता ९ अध्याय ११ श्लोक
“मेरे परम भाव को न जानने वाले मूढ़ लोग मनुष्य का शरीर धारण करने वाले मुझ सम्पूर्ण भूतो के महान ईश्वर को तुच्छ समझते है अर्थात अपनी योग माया से संसार के उद्धार के लिए मनुष्य रूप में विचरते हुए मुझ परमेश्वर को साधारण मनुष्य मानते है @-११
ऐसे अनेको प्रमाण वेदो और पुराणो में भी मिलते है l
कुछ व्यक्तियों ने सनातन धर्म में कुरीतिया निकलने के नाम पर अलग साम्प्रदाय पंथ बना डाले और अपनी दुकान चलने के लिए कुतर्क देते हुए सनातन धर्म की वैज्ञानिकता को कुरीतियों की तरह प्रेषित किया और विडम्बना यह है कि हमारे सनातनी हिन्दू भाई बहन अपने ग्रंथो का अध्ययन किये बिना दूसरे सम्प्रदायों कि वाणी किताब सुन पढ़ कर आज अपने ही धर्म के विपरीत खड़े हो गए है l
उपरोक्त जितने भी बिंदु है वो प्रमाण से प्रेषित किये गए है l
विस्तार भय से सूक्ष्म चर्चा की गयी हे ।
आप सबसे सविनय निवेदन है कि आप उपरोक्त प्रमाणों को अध्ययन करने के बाद अगर उत्तर न मिल पाए तो बिंदु आधारित और मर्यादित चर्चा करने से बिलकुल न हिचके l
अपना सनातन धर्म जानने का प्रयास करेl
🌹🌹राम राम 🌹🌹
http://sanatangurukul.org/pdf.php?id=241
👆🌹उपनयन संस्कार विधि -संस्कार प्रकाश🌹
http://sanatangurukul.org/pdf.php?id=465
👆🌹विवाह संस्कार (संस्कार प्रकाश)🌹
http://sanatangurukul.org/pdf.php?id=502
👆🌹वेदो द्वारा मूर्ति पूजा, पुराणों की मान्यता और श्राद्ध का प्रमाण🌹
http://sanatangurukul.org/pdf.php?id=535
👆🌹अंत्येष्टि संस्कार (संस्कार प्रकाश)🌹